कविता -पत्र-….!
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे
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ख्याली -खुशाली सांगते - पत्र
दोन मनाचा संवाद-सेतू - पत्र
आपलाच असे संवाद , ते- पत्र
मनांतल्या भावनानाचे रूप जणू पत्र …।
दूर असो कुणी किती ही
त्याला जवळ आणते पत्र
अस्फुट -अव्यक्त भावनां व्यक्त
करते तुमचे आमचे एक पत्र ......।
नव्या जमान्यात असलो जरी आता
लिहिण्या साठी अजूनही खुणावते हे-पत्र
उतरवा मनातले प्रपात सारे
मन मोकळे कळेल हे एक पत्र …....।
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-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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-अरुण वि.देशपांडे -पुणे
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ख्याली -खुशाली सांगते - पत्र
दोन मनाचा संवाद-सेतू - पत्र
आपलाच असे संवाद , ते- पत्र
मनांतल्या भावनानाचे रूप जणू पत्र …।
दूर असो कुणी किती ही
त्याला जवळ आणते पत्र
अस्फुट -अव्यक्त भावनां व्यक्त
करते तुमचे आमचे एक पत्र ......।
नव्या जमान्यात असलो जरी आता
लिहिण्या साठी अजूनही खुणावते हे-पत्र
उतरवा मनातले प्रपात सारे
मन मोकळे कळेल हे एक पत्र …....।
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-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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