कविता - समीप ….!
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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समीप असणे सहजतेने
सुख इतके सुलभ नसते
दूर दूर असतो आपण अन
हसरी तसबीर ही आनंद देते …!
हसरे चित्र तुझे पाहणे
आनंद दिलासा देणारा असतो ,
दूर आहेस, -आहेस समीप
सहवास हाही सुखद असतो...- !
नितळ भाव नजरेतले तुझ्या
चेहेरयावरी मधुर स्निग्धता
स्मितातली तुझ्या ही अस्फुटता
सांगे मजला तुझा आपलेपणा …!
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कविता - समीप -.!
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे .
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-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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समीप असणे सहजतेने
सुख इतके सुलभ नसते
दूर दूर असतो आपण अन
हसरी तसबीर ही आनंद देते …!
हसरे चित्र तुझे पाहणे
आनंद दिलासा देणारा असतो ,
दूर आहेस, -आहेस समीप
सहवास हाही सुखद असतो...- !
नितळ भाव नजरेतले तुझ्या
चेहेरयावरी मधुर स्निग्धता
स्मितातली तुझ्या ही अस्फुटता
सांगे मजला तुझा आपलेपणा …!
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कविता - समीप -.!
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे .
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