Saturday, November 16, 2013

शेजारच्या आजी - बाल-कथा.

दै.प्रहार.दि.१५-११-२०१३ च्या अंकात प्रकाशित
"शेजारच्या आजी" या बाल-कथेची लिंक.
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http://epaper.prahaar.in/detail.php?cords=26,118,1138,1412&id=story2&pageno=http://epaper.prahaar.in/15112013/Mumbai/Suppl/Page6.jpg

Monday, November 11, 2013

कविता - अशी असते कविता ..!

कविता - अशी असते कविता …!
-अरुण वि देशपांडे - पुणे .
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मनास मन बोले आतुनी
नजर शब्दाविना बोलकी
सांगण्यास शब्दात हे सारे 
मदतीस येते मग कविता …!

अन्वयार्थ जीवनाचा सांगे
अनुभूतीची असे कविता
अंतरंगी असे  प्रत्येकाच्या
अंतर - प्रवाही ही कविता ………. !

माणूसपण माणसाचे
शब्दरूपात दावे कविता
भाव-भावनाचे कल्लोळ
म्हणजेच असते कविता ……. !

जीवनाच्या वाटचाली  साऱ्या
असोत किती त्या खडतर
काट्या-कुटयांच्या रस्त्यात मग 
हिरवळ  असते कविता ……।

मन-संवादी असते कविता
आत्मभान देते  ही  कविता
आपणच लिहावी आपली
स्वतहाची अशी एक कविता …. !
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कविता - अशी असते कविता ….!
-अरुण वि देशपांडे . पुणे .
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Friday, November 8, 2013

कविता- हळवी फुंकर ..|

ई-कविता -  संग्रह - "हळवी फुंकर …"
मधील शीर्षक कविता -
"घाल हळवी फुंकर ...|"
-अरुण वि .देशपांडे -पुणे
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आधीच जखमा
त्या ही खोलवर
तूच येउनि आता
घाल हळवी फुंकर ….!

घाव घाली जो तो
दुखऱ्या मनावर
तूच नाहीस परकी
घाल हळवी फुंकर ….!

होती संपली अशा
मन ही हरून गेले
तूच ओळखे  अंतर
घाल हळवी फुंकर ….!

असते ताकद खरी
प्रेमात दो मनांची
घाव भरून येण्या
घाल हळवी फुंकर ….!
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 ई- कविता संग्रह- "हळवी फुंकर "मधील
शीर्षक -कविता - 
घाल हळवी फुंकर ….!
-अरुण वि .देशपांडे -पुणे
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