Monday, September 30, 2013

कविता - कहाणी ...!

कविता - कहाणी …!
-अरुण वि .देशपांडे -पुणे
------------------------------------------------
ऐकुनी कहाणी आज माझी
डोळे  तुझे का भरुनी आले ?
सांगता सारे  आज तुजला
मन बघ हे  हलके झाले ….!

कहाणीत या छोट्याशा ,तसे
अलौकिक असे काही नाही
साध्या सुध्या जगण्यातली
लढाई सुद्धा जोरदार नाही …।

स्वप्न माझे होते तसे सोपे
त्यात होते सुंदरसे  खोपे
वाऱ्याने ते ही टिकले  नाही
ती स्वप्ने ही आता येत नाही …!

भेटले जे  पुन्हा नाही भेटले
काटेरी फुले देउनि ते गेले
निशाणी जखमांची त्यांच्या
मनी उमटवुनी सारे  गेले ….!

कातरवेळी  मन काहुरले
नाही ते विचार मनात आले
गलबलते  मन अबोलसे
डोळ्यांचे काठही भरून आले …।
-----------------------------------------------------------------------
कविता - कहाणी …!
-अरुण वि .देशपांडे -पुणे
-----------------------------------------------------------------------

Saturday, September 21, 2013

कविता - स्वप्न नावाचे एक खेळणे ...!

कविता -    स्वप्न नावाचे एक खेळणे .
-अरुण वि .देशपांडे - पुणे
----------------------------------------------------------------
मन हिरमुसले किती ही
तरी पुन्हा ते खुलावे म्हणून
द्यावे लागते हातात त्याच्या
स्वप्न नावाचे एक खेळणे .
नाही तरी एक लहान मुल
दडलेले असतेच की मनात
त्याचे रुसेवे फुगवे जावे
म्हणून द्यावे लागते कधी
स्वप्न नावाचे एक खेळणे .
प्रेमाच्या सावल्या उमटून
जातात मनाच्या अंगणात
विसर पडतो वास्तवाचा
तेव्न्हा तर हवेच असते
स्वप्न नावाचे एक खेळणे .
स्वप्नातले जग असते खरे
आपल्या मनासारखे जगण्याचे
मनात मुरुलेल्या जुनाट वेदना
विसरून जाण्यास मदत करते
स्वप्न नावाचे एक खेळणे .
मनास ओळखावे आपण आपल्या
लाड त्याचेही कधी कधी करावे
गुंतणे त्याचे असे असते बरे
आपण असतो निवांत ,मन खेळते
स्वप्न नावाचे एक खेळणे .
--------------------------------------------------------
 कविता - स्वप्न नावाचे एक खेळणे . …!
-अरुण वि .देशपांडे -पुणे .
----------------------------------------------------------------------------