कविता - कहाणी …!
-अरुण वि .देशपांडे -पुणे
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ऐकुनी कहाणी आज माझी
डोळे तुझे का भरुनी आले ?
सांगता सारे आज तुजला
मन बघ हे हलके झाले ….!
कहाणीत या छोट्याशा ,तसे
अलौकिक असे काही नाही
साध्या सुध्या जगण्यातली
लढाई सुद्धा जोरदार नाही …।
स्वप्न माझे होते तसे सोपे
त्यात होते सुंदरसे खोपे
वाऱ्याने ते ही टिकले नाही
ती स्वप्ने ही आता येत नाही …!
भेटले जे पुन्हा नाही भेटले
काटेरी फुले देउनि ते गेले
निशाणी जखमांची त्यांच्या
मनी उमटवुनी सारे गेले ….!
कातरवेळी मन काहुरले
नाही ते विचार मनात आले
गलबलते मन अबोलसे
डोळ्यांचे काठही भरून आले …।
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कविता - कहाणी …!
-अरुण वि .देशपांडे -पुणे
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-अरुण वि .देशपांडे -पुणे
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ऐकुनी कहाणी आज माझी
डोळे तुझे का भरुनी आले ?
सांगता सारे आज तुजला
मन बघ हे हलके झाले ….!
कहाणीत या छोट्याशा ,तसे
अलौकिक असे काही नाही
साध्या सुध्या जगण्यातली
लढाई सुद्धा जोरदार नाही …।
स्वप्न माझे होते तसे सोपे
त्यात होते सुंदरसे खोपे
वाऱ्याने ते ही टिकले नाही
ती स्वप्ने ही आता येत नाही …!
भेटले जे पुन्हा नाही भेटले
काटेरी फुले देउनि ते गेले
निशाणी जखमांची त्यांच्या
मनी उमटवुनी सारे गेले ….!
कातरवेळी मन काहुरले
नाही ते विचार मनात आले
गलबलते मन अबोलसे
डोळ्यांचे काठही भरून आले …।
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कविता - कहाणी …!
-अरुण वि .देशपांडे -पुणे
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