Thursday, April 24, 2014

कविता- सद्गुरू स्वामी समर्थ ...!

-कविता- सद्गरु स्वामी समर्था ...।।
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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भक्तीची गोडी मनास लागो
प्रार्थना  सदा  एक  करितो
करुणायुक्त मनाची  याचना
चरणी तव आम्ही अर्पितो .....!

दर्शन घेता समर्था तुमचे
मनी भाव सुंदर प्रकटतो
नाम स्मरणाचा भाव दीप
मन मंदिरी आम्ही लावतो …।!

दर्शनासाठी  भक्त तुमचा
ओढीने अक्कलकोटी येतो
मन भरून दर्शन होता  तो
मन भरभरून की पावतो …।!
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-कविता- सद्गरु स्वामी समर्था ...।।
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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कविता- निरोप...!

कविता - निरोप...!
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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संस्कार सावलीत तुमच्या
आम्ही सारे घडलो
आशीर्वाद घेउनी तुमचे
आम्ही पुढे निघालो ………।!

गुरुजनांच्या ज्ञानदानाने
घडलो आम्ही खरोखरी
यश संपादून आता
लौकिक वाढवू परोपरी …….!

द्या निरोप आम्हाला
मन जड जाहले
हात फिरता पाठीवरुनी
डोळे ओले जाहले ……… !
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-कविता - निरोप ….!
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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कविता- वाढदिवस आज तुझा ...!

कविता - वाढदिवस आज तुझा …!
-अरुण वि देशपांडे .- पुणे .
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दिवस आजचा प्रसन्नसा
वाढदिवस आज तुझा
शुभेच्छा देण्या आला बघ
 बघ हर एक मित्र तुझा ….!

 तारीफ करण्यात तुझी
 शब्द धन्यता नित मानिती
 स्नेहबंध मित्र-मैत्रिणीशी
  रेशीम बंध सारे  मानिती ….!

  स्मित विलसे मुखावरी
  आपुलकी तुझ्या अंतरी
  नजरेत स्निग्धता  दिसते
  जिव्हाळा तुझ्या शब्दांतरी …!

  भाग्य्वानास लाभे असे मैत्र
  लाभते  हे अंतरीचे नाते
  आहोत आम्हीही  भाग्यवान
  अक्षय राहावे  मैत्र  - नाते ….!
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-कविता - वाढदिवस आज तुझा …!
-अरुण वि देशपांडे .- पुणे .
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कविता- नाम महिमा थोर त्याची मोठीच गोडी ...!

कविता- नाम महिमा थोर , त्याची मोठीच गोडी ….!
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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नामाची हो गोडी ,मनास लागुद्या थोडी
नाम महिमा थोर , त्याची मोठीच गोडी ….!

कठीण वाटे फार गोष्ट ही ,सोपी नसे
मन चंचल भारी ,अजुनी  संसारी गोडी
कानावरी पडो सद्गुरू नाम सदा आता
नाम महिमा थोर , त्याची मोठीच गोडी ….!

उथळ विचार, तसेच आचार  झाले
शब्दांचे बुडबुडे तरंगत आले
कुठे तरी थांबवा आता ही गाडी
नाम महिमा थोर , त्याची मोठीच गोडी ….!

रहा पाठीशी उभे आमुच्या समर्था
भीती घालवा मनातली थोडी थोडी
शांत होता मग मन आमुचे कळेल
नाम महिमा थोर , त्याची मोठीच गोडी ….!
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कविता -नाम महिमा थोर , त्याची मोठीच गोडी ….!
अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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Thursday, April 10, 2014

कविता - मज लागो गोडी दर्शनाची ....!

कविता - मज लागो गोडी दर्शनाची …!
अरुण वि.देशपांडे -पुणे,
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विनंती तुमच्या चरणाशी
मज लागो गोडी दर्शनाची ….।।

 शिणले शिणले मन  माझे
 धावाधाव नाही करायची
 मन रमो आता  चरणाशी
मज लागो गोडी दर्शनाची ….।।

मनात असते इच्छा एक
ओढ तुमच्या हो  दर्शनाची
ठेवावे मस्तक चरणाशी
मज लागो गोडी दर्शनाची ….।।

नाही मनास अजून उमज
नाही चिंता त्यास कल्याणाची
उपदेश वाणी पडो कानी
मज लागो गोडी दर्शनाची ….।।
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कविता - मज लागो गोडी दर्शनाची …!
अरुण वि.देशपांडे -पुणे,
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Wednesday, April 2, 2014

कविता - खिन्न अशा या वेळी ...!

कविता - खिन्न अशा या वेळी …!
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे .
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मावळतीच्या हुरहुरत्या प्रहरी
आठवणीं येती लहरत अंतरी
नजरे समोरचे  भासे परके
उदासलेले  मन  खिन्नता अंतरी …।!

पक्षी येती परतुनी ओढीने किती
दिवस अखेरी त्या आपल्या घरट्यात
असो किती  दूरवर दिवसभर
वळती वाटा  पिल्लांच्या सहवासात ….!

एकटा एक मी, संध्याकाळ एकटी
सोबती एकमेकांचे आम्ही असतो
गाठोडे गत -क्षणांचे बसतो सोडूनी
आठवणी त्या  मग बसती मानगुटी ….!

वियोगाचे गीत माझ्या सदा ओठी
व्याकुळ भाव  दाटतो डोळा काठी
झोपही  घेते  फारकत नेमक्या वेळी
चंद्र नसे सोबती खिन्न अशा या वेळी ……!
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कविता - खिन्न अशा या वेळी …!
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे .
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