Friday, March 23, 2012

घडवा मनासी हो समर्थ ||

कविता-घडवा मनासी हो समर्थ || -अरुण.वि.देशपांडे- पुणे.

होऊ नये हातुनी आमुच्या

कधी शब्दांचे हो अनर्थ

समजदार होण्यास आम्ही

घडवा मनासी हो समर्थ.........||

भक्तवत्सल तुम्ही श्रीगुरू

कल्याण करिता या जिवांचे

आम्हीच अस्थिर मुलखाचे

निट वाट दाखवा समर्थ .......||

नामस्मरण श्रीहरीचे हे

मना तोषवे किती किती ते

श्रीहरी - श्री हरी या नामाची

गोडी आम्हा लागू द्या समर्थ ....||

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कविता -|| घडवा मनासी हो समर्थ ..|| -अरुण वि .देशपांडे-पुणे-

मो- ९८५०१७७३४२.

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|| श्री स्वामी समर्थ ||

रंगांचा सोहला

|| रंगांचा सोहळा ||--- बालमित्रांसाठी -कविता -अरुण वि देशपांडे -पुणे .

लहान-थोर बघा आज झाले गोळा

होळीचा सण हा रंगांचा सोहळा ..........||

रंग सारे किती न्यारे ,लाल- नि हिरवा

धम्मक ,पिवळा नि निळासावळा.... .||

आरडा -ओरडा करो कुणी कितीही

खुशाल टाका त्यावरती रंग निळा ......||

आनंदाने उत्साहाने सारे हो खेळा

रंगात भिजण्या नाही कुणा कंटाळा .. .||

होळी पूजनी आपण एक करावे

जे वाईट अवघे, ते सोडोनी द्यावे......||

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-बालमित्रांसाठी -कविता - " रंगांचा सोहळा "....! -अरुण वि .देशपांडे - पुणे.

मो- ९८५०१७७३४२.

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holi re holi

स्वामी समर्थ

|| श्री ||

भान द्यावे सद्गुरू थोडे.........|| कवी- अरुण वि .देशपांडे-पुणे.

नसतो ताबा कधी आमचा

आमच्याच जिभेवरती कधी

कसा करावा उपयोग शब्दांचा

द्यावे सद्गुरू भान थोडे .................||

अफाट लालसा रसनेची

मने सदा वखवख लेली

मित आहार कसा हिताचा

समजून द्यावे आम्हा थोडे .............||

उद्धट झाले मन आता किती

अपमान जनांचा किती करी

वडील धाऱ्यांचा राखावा मान

सांगावे सद्गुरू हे थोडे ..................||

काय बरे,काय वाईट ? हे

मनास पडले कठीण कोडे

उमज द्यावा मनास सद्गुरू

व्हावे स्मरण हरीचे थोडे.................||

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कवी -अरुण.वि.देशपांडे.-पुणे

मो-९८५०१७७३४२.

दि.२२ मार्च २०१२.

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श्री स्वामी समर्थ ||