Saturday, January 17, 2015

कविता - गोडवे तुझ्या रूपाचे सखे गाण्यात रंगून गेलो …!

कविता - गोडवे तुझ्या रूपाचे सखे गाण्यात रंगून गेलो …!
- अरुण वि. देशपांडे -पुणे.
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गोडवे तुझ्या रूपाचे सखे गाण्यात रंगून गेलो
वेळ कोणती काळ  कोणता हेही  विसरुनी गेलो ...।।

उषा प्रभातीची तू  मजसाठी  ,स्वागता तुझ्या उठलो
सोनेरी किरणे  लेऊन येता ,मोहरून  मी गेलो
वेळ कोणती काळ  कोणता हेही  विसरुनी गेलो
गोडवे तुझ्या रूपाचे सखे गाण्यात रंगून गेलो …!

सुंदरता अवतरली तुझ्याच रुपात सखये
पाहुनी तुज ,  भान माझे  क्षणात  हरपुनी बसलो
वेळ कोणती काळ  कोणता हेही  विसरुनी गेलो
गोडवे तुझ्या रूपाचे सखे गाण्यात रंगून गेलो …!

हर एक गुणांचे आपल्या व्हावे कौतुकसे  वाटे
 तू प्रिय मजला किती ,हे तुजला  सांगावे  वाटे
ऐकावेस तू मनापासुनी ,सांगण्यास मी बसलो
वेळ कोणती काळ  कोणता हेही  विसरुनी गेलो
गोडवे तुझ्या रूपाचे सखे गाण्यात रंगून गेलो …!

गोडवे तुझ्या रूपाचे सखे गाण्यात रंगून गेलो
वेळ कोणती काळ  कोणता हेही  विसरुनी गेलो ...।।
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कविता - गोडवे तुझ्या रूपाचे सखे गाण्यात रंगून गेलो …!
- अरुण वि. देशपांडे -पुणे.
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