कविता -करू विनवणी गजानना .
-अरुण वि.देशपांडे
-----------------------------------------------------
माथा ठेवूनी त्यांच्या चरणा
सांगूया मनातील कामना
हरण कराव्या या यातना
करू विनवणी गजानना ..||
-अरुण वि.देशपांडे
-----------------------------------------------------
माथा ठेवूनी त्यांच्या चरणा
सांगूया मनातील कामना
हरण कराव्या या यातना
करू विनवणी गजानना ..||
दर्शन घडावे तव रूपाचे
ओठी असावे नाम त्यांचे
विसर याचा मना कधी ना
करू विनवणी गजानना ...!!
ओठी असावे नाम त्यांचे
विसर याचा मना कधी ना
करू विनवणी गजानना ...!!
टाळावे मार्ग वाईट जेजे
रस्ते असे ते आपले नव्हे
दूर ठेवाव्या साऱ्या वासना
करू विनवणी गजानना ..||
--------------------------------------------------------------
कविता - करू विनवणी गजानना .||
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
-------------------------------------------------------------------------
रस्ते असे ते आपले नव्हे
दूर ठेवाव्या साऱ्या वासना
करू विनवणी गजानना ..||
--------------------------------------------------------------
कविता - करू विनवणी गजानना .||
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
-------------------------------------------------------------------------