Friday, October 28, 2016

कविता- अशी ही दिवाळी ...

कविता -
अशी ही दिवाळी 
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प्रकाशाचा उत्सव दिवाळी
उजळून जाई सारा परिसर 
नयनरम्य रोषणाई चोहीकडे 
लक्ष लक्ष दिव्यांची ही दिवाळी ...

दूरदेशी असती पाखरे ज्यांची 
साद घालिते त्यांना दिवाळी 
हिरमुसलेल्या घरांच्या अंगणात  
हास्याची खुलते रंगीत दिवाळी ...

मायेचे हात ते बनविती ती 
अवीट गोडीची ती मिठाई 
दिवाळीच्या भेटीसाठी आतुर 
असते घर-घरातील लेक-बाई ....

संस्कृती -परंपरेचा मिलाफ 
अनुभूती असते ही दिवाळी 
मना -मनास जवळ आणिते 
स्नेह-प्रकाशाची ही दिवाळी 
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कविता - अशी ही दिवाळी .
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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Friday, October 21, 2016

कविता - झाले इतके तरीही ...!

कविता -
झाले इतके तरीही...
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चालत राहिली तसा , रस्तेच कळाले नाही  |
दिसले खूप जाताना , पायांना कळाले नाही  ||

विचारले लोकांना तरी,  त्यांनाही कळाले नाही  |
सांगितले त्यांनी जेजे , मलाच कळाले नाही    ||

अर्थ शोधला त्यातला , नेमके कळाले नाही   |
थांबावे की चालावे हे , मनास कळाले  नाही  ||

झाले इतके तरीही  , काहीच कळाले नाही  |
कशा साठी असे सारे  ,अजून कळाले नाही   ||
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कविता -
झाले इतके तरीही...
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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Saturday, October 15, 2016



आज वाचनप्रेरणादिन- डॉ.एपीजे-अब्दुल कलाम यांचाजयंतीदिन- त्यानिमित्ताने-
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बालकविता-सलाम आजोबा-कलाम आजोबा..!
(आली आली परीराणी- संग्रहातून)