Friday, March 23, 2012

घडवा मनासी हो समर्थ ||

कविता-घडवा मनासी हो समर्थ || -अरुण.वि.देशपांडे- पुणे.

होऊ नये हातुनी आमुच्या

कधी शब्दांचे हो अनर्थ

समजदार होण्यास आम्ही

घडवा मनासी हो समर्थ.........||

भक्तवत्सल तुम्ही श्रीगुरू

कल्याण करिता या जिवांचे

आम्हीच अस्थिर मुलखाचे

निट वाट दाखवा समर्थ .......||

नामस्मरण श्रीहरीचे हे

मना तोषवे किती किती ते

श्रीहरी - श्री हरी या नामाची

गोडी आम्हा लागू द्या समर्थ ....||

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कविता -|| घडवा मनासी हो समर्थ ..|| -अरुण वि .देशपांडे-पुणे-

मो- ९८५०१७७३४२.

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|| श्री स्वामी समर्थ ||

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