Monday, July 28, 2014

कविता -समीप ..!

कविता - समीप ….!
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
--------------------------------------------------------
समीप असणे सहजतेने
सुख इतके सुलभ नसते
दूर दूर असतो आपण अन
हसरी तसबीर ही आनंद देते …!

हसरे चित्र तुझे पाहणे
आनंद दिलासा देणारा असतो ,
दूर आहेस,   -आहेस समीप
सहवास हाही सुखद असतो...- !

नितळ भाव नजरेतले तुझ्या
चेहेरयावरी  मधुर स्निग्धता
स्मितातली तुझ्या ही अस्फुटता
सांगे मजला तुझा आपलेपणा …!
-----------------------------------------------------------------------------
कविता - समीप -.!
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे .
------------------------------------------------------------------------------

No comments:

Post a Comment