Wednesday, February 25, 2015

कविता - जितुके- तितुके ...!

कविता - जितुके- तितुके …!
-अरुण वि. देशपांडे -पुणे
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सामोरे जाणे भिडणे प्रश्नाला
हेच खरे आव्हान रे मनाला
तू सारे टाळशील  हे जितुके
दूर पळणे सोपे नसे तितुके ….!

भाबड्या मनाने नसते कधी
 लढायची जिंदगीची लढाई
आपली वाटतील जे जितुके
होती  क्षणात परके तितुके ….!

संस्कार जरी देती आपणासी 
भान जीवन  जगण्याचे सदा
अवडंबर नसावे याचे कधी
आचरणी जितक्यास तितुके …!

मिळे आयुष्य एकदाच हे
मनापासुनी ते जगूनी घ्यावे
मिळे रे आपणासी जे जितुके
आनंद देण्या पुरेसे तितुके …!
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कविता - जितुके- तितुके …!
-अरुण वि. देशपांडे -पुणे
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