Saturday, February 6, 2016

कविता - ते पुन्हा आठवले ..!

कविता - ते पुन्हा आठवले ...!
-अरुण वि.देशपांडे .
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कोरड्या ठप्प नदीच्या काठी बसता 
खेळकर रूप तिचे  ते आठवले  ||

हीच नदी  हाच  तिचा तो किनारा 
पाण्यातले पाय , स्पर्श ते आठवले ||

वाळूत नावांची ती नक्षीदार कोरणी 
तुझे स्मित चांदणे तेही आठवले  || 

कविता मन चिंब चिंब करणार्या 
भारलेले शब्द ते पुन्हा आठवले  || 

जादूचे क्षणते - दिवसही तसेच ते 
मोरपीस  मन तळातले  ,ते आठवले  ||

आयुष्य झाले आजचे कोरडे जगणे 
अजुनी आठवणी ओल्या ,हे आठवले   ||
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कविता - ते पुन्हा आठवले ...!
-अरुण वि.देशपांडे .-पुणे .
मो- ९८५०१७७३४२ 
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