Friday, April 1, 2016

कविता - गोष्ट आहे हीच खरी .

कविता - गोष्ट आहे हीच खरी .
-अरुण वि.देशपांडे 
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घुटमळती पावले  अजुनी त्या वळणावरी
जायचे पुढती मागचे टाकुनी मागे जरी      .||

भास होते ते सारेच मनास ते जे जे वाटले 
 व्रण जखमांचे आत ताजे वरुनी कोरडे जरी ..||

का असे वागती माणसे जी आपलीच वाटली 
होती नाती आपल्यातली ती खोटी की खरी ?..||

हात दिलेत ते  साथ सोबत करण्यासाठी 
का हात हे अचानक जीवाचा असा घात करी ..||

निसरड्या रस्त्याची वाट मोह याचाच होई 
बिकट पायवाट आजकाल जो तो टाळतो खरी  ||

दिपवणारे प्रकाशझोत सतत जे डोळ्यावरी 
पाहावे नेमके काय काय मनास पडे भ्रांत खरी ...||

असेच आहे वर्तमान सांप्रत ,जगणे हतबल 
माना  अथवा न माना  ,गोष्ट आहे हीच खरी ....||
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-कविता - गोष्ट आहे हीच खरी ..
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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