Wednesday, November 14, 2018


कविता -गोडुली बाहुली.
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अंगणी ती चिमुकली
हसरी गोडुली बाहुली
पैंजण छुम छुम चाले
अंगण रिते रिकामे ते
मग बोबडे बोलू लागे....
सावलीचे झाड सोबती
बोट तिचे धरुनी चाले
मृदुल स्पर्श जादू होता
क्षणात गलबलून जाते....
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कविता- गोडुली बाहुली
-अरुण वि.देशपांडे-पुणे
9850177342
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