कविता - राजा-राणीची कहाणी …!
-अरुण वि . देशपांडे - पुणे .
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स्वप्नाळू राजा -राणी
स्वप्ने रोज पहायची
हरवून त्यात जाती
आपले हे राजा- राणी ……।
शब्द बोलती ते दोघे
प्रेमाने ओथम्ब्लेले
मने दोन ती अवघी
प्रेमानेच भारलेले ……. !
वसंत-प्रेमाचे दिवस
हळू हळू ओसरले
भान जगण्याचे आले
व्यवहार सुरु झाले ….…।
दाल-रोटीचा मेळ हा
कठीण खेळ भासला
नळाला नयेणारे पाणी
आणायचे डोळा पाणी …. !
नोकरी दोघांची खरी
दोघांना ती फार प्यारी
कुणी करायचे आता ?
वाद घाली राजाराणी ……!
समजदारी दुरावता
दुरावा तोही वाढला
दोन दिशा दोन चेहेरे
बसून राही राजा राणी ….!
आटून गेले प्रेम नि
अडली प्रेम - कहाणी
समजून घ्यावे एकमेका
विसरले की राजा -राणी ……. !
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कविता - राजा -राणीची कहाणी …!
-अरुण वि . देशपांडे - पुणे .
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-अरुण वि . देशपांडे - पुणे .
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स्वप्नाळू राजा -राणी
स्वप्ने रोज पहायची
हरवून त्यात जाती
आपले हे राजा- राणी ……।
शब्द बोलती ते दोघे
प्रेमाने ओथम्ब्लेले
मने दोन ती अवघी
प्रेमानेच भारलेले ……. !
वसंत-प्रेमाचे दिवस
हळू हळू ओसरले
भान जगण्याचे आले
व्यवहार सुरु झाले ….…।
दाल-रोटीचा मेळ हा
कठीण खेळ भासला
नळाला नयेणारे पाणी
आणायचे डोळा पाणी …. !
नोकरी दोघांची खरी
दोघांना ती फार प्यारी
कुणी करायचे आता ?
वाद घाली राजाराणी ……!
समजदारी दुरावता
दुरावा तोही वाढला
दोन दिशा दोन चेहेरे
बसून राही राजा राणी ….!
आटून गेले प्रेम नि
अडली प्रेम - कहाणी
समजून घ्यावे एकमेका
विसरले की राजा -राणी ……. !
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कविता - राजा -राणीची कहाणी …!
-अरुण वि . देशपांडे - पुणे .
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