Monday, February 3, 2014

कविता- आहे का तुज खबर काही ?

कविता - आहे  का तुज खबर काही   ?
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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भेटून गेलीस काल सखे
घडून गेले मग खूप काही
काय झाले समजुनी घे तू
आहे का तुज खबर काही ?………!

म्हणतेस नेहमी मजला
हे  काय आह? आपल्यात रे  !
तूच विचार  मनास तुझ्या
आहे का त्यास  खबर काही ?……!

सूर जुळती मनांचे तेंव्हा
गीत हे  मन गाऊ लागते
स्वप्ने तरळती स्वप्नात
आहे का तुज खबर काही …?…।!

बरे आहे एक सखे तुझे
असतेस  तू तुझ्यात सदा
वेड लाविलेस अन मजला
आहे का तुज खबर काही …?…।!

आहे आता करणे इलाज
तुलाच या बिमारीवरी
गंभीर हा मामला आता
आहे का तुज खबर काही …?…।!
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कविता - आहे  का तुज खबर काही   ?
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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