Thursday, February 20, 2014

कविता - कहाणी ...!

कविता - कहाणी ...।।
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे
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नाही राहिले भान मज,  सांगे माझी कहाणी
लक्षात आले अचानक  , का सांगे  मी कहाणी  ?  ।।

दुराव्याची दुनिया  माझी ,  जवळीक न ठावे
ओलाव्याच्या शब्दावीना,चाले रे  ही कहाणी ....।।

चंद्र तारे क्षीण दिसे  मज,  आकाश  न ठेंगणे
सुरु  असेल ही जरी तरी ,  अर्धी अजून कहाणी ………. ।।

असते कहाणी रंजक ,   असे ज्यात राजा राणी
हा राजा राणी विना . , त्याची कसली कहाणी …।।

आभारी आहे मित्र तुझा  , वेळ तुझा मी घेतला
नवखा आहेस तू  गड्या,  नवखी तुज कहाणी ......।।

मीच म्हणालो राजाला      ,उदास का  रे होसी..?
कशी ही असो तुझी  ही  ,     मी  सांगेन ही कहाणी .....।।
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कविता - कहाणी ...।।
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे
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