कविता - कहाणी ...।।
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे
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नाही राहिले भान मज, सांगे माझी कहाणी
लक्षात आले अचानक , का सांगे मी कहाणी ? ।।
दुराव्याची दुनिया माझी , जवळीक न ठावे
ओलाव्याच्या शब्दावीना,चाले रे ही कहाणी ....।।
चंद्र तारे क्षीण दिसे मज, आकाश न ठेंगणे
सुरु असेल ही जरी तरी , अर्धी अजून कहाणी ………. ।।
असते कहाणी रंजक , असे ज्यात राजा राणी
हा राजा राणी विना . , त्याची कसली कहाणी …।।
आभारी आहे मित्र तुझा , वेळ तुझा मी घेतला
नवखा आहेस तू गड्या, नवखी तुज कहाणी ......।।
मीच म्हणालो राजाला ,उदास का रे होसी..?
कशी ही असो तुझी ही , मी सांगेन ही कहाणी .....।।
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कविता - कहाणी ...।।
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे
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-अरुण वि.देशपांडे -पुणे
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नाही राहिले भान मज, सांगे माझी कहाणी
लक्षात आले अचानक , का सांगे मी कहाणी ? ।।
दुराव्याची दुनिया माझी , जवळीक न ठावे
ओलाव्याच्या शब्दावीना,चाले रे ही कहाणी ....।।
चंद्र तारे क्षीण दिसे मज, आकाश न ठेंगणे
सुरु असेल ही जरी तरी , अर्धी अजून कहाणी ………. ।।
असते कहाणी रंजक , असे ज्यात राजा राणी
हा राजा राणी विना . , त्याची कसली कहाणी …।।
आभारी आहे मित्र तुझा , वेळ तुझा मी घेतला
नवखा आहेस तू गड्या, नवखी तुज कहाणी ......।।
मीच म्हणालो राजाला ,उदास का रे होसी..?
कशी ही असो तुझी ही , मी सांगेन ही कहाणी .....।।
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कविता - कहाणी ...।।
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे
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