Monday, April 6, 2015

कविता - वाटचाल ...! -अरुण वि.देशपांडे .

कविता - वाटचाल …!
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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प्रश्नांचे खड्डे ,समस्यांचे अडथळे
रस्ते नसती त्यात सरळ सगळे
चालणे चुकत नसते ते कुणाचे
बळ द्यावे आपण मना चालण्याचे ….!

काय कुणा मिळावे ? ते कधी मिळावे ?
या शंकेने मनास कधी न शिणवावे
प्रयत्नांती फळ नक्कीच ते मिळते
मनावर आपल्या पक्के ठसवावे ….!
अनुभवी जाणते असती सोबती
ऐकून घ्यावे सार्थ बोल सदा त्यांचे
हेच अनुभव दावी मार्ग सुलभ
ध्येयप्राप्तीच्या खडतर वाटचालीचे ….!
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कविता - वाटचाल …!
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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