Sunday, November 1, 2015

एक कविता ..!

एक कविता …!
-अरुण वि . देशपांडे
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काय सांगायचे कसे सांगायचे ?
घुटमळते मन सांगण्यासाठी
शोधात ते मग निघते शब्दांच्या
मदत करती जे कवितेसाठी …!

कविता जणू एक सखी जिवलग
सारखी मनात ती डोकावते
अस्वथ मनास समजावते छान
बळ देई कविता जगण्यासाठी …!

कविता जाणीव देते एक नवी
माणूस असुदे  मनात नेहमी
कर विचार या माणसांचा तु रे
तुझी कविता असावी त्याच्यासाठी …!
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एक कविता ।!
-अरुण वि. देशपांडे .
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2 comments:

  1. Replies
    1. स्वप्ना -नमस्कार -माझ्या कवितेला आवर्जून अभिप्राय दिलात ,खूप छान वाटले.तुम्ही माझ्या फेसबुक मित्र-परिवारात सामील व्हावे ही विनंती.रिक्वेस्ट पाठवणे.तसेच माझे नवे लेखन वाचावे.शुभेच्छा.

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