Friday, October 28, 2016

कविता- अशी ही दिवाळी ...

कविता -
अशी ही दिवाळी 
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प्रकाशाचा उत्सव दिवाळी
उजळून जाई सारा परिसर 
नयनरम्य रोषणाई चोहीकडे 
लक्ष लक्ष दिव्यांची ही दिवाळी ...

दूरदेशी असती पाखरे ज्यांची 
साद घालिते त्यांना दिवाळी 
हिरमुसलेल्या घरांच्या अंगणात  
हास्याची खुलते रंगीत दिवाळी ...

मायेचे हात ते बनविती ती 
अवीट गोडीची ती मिठाई 
दिवाळीच्या भेटीसाठी आतुर 
असते घर-घरातील लेक-बाई ....

संस्कृती -परंपरेचा मिलाफ 
अनुभूती असते ही दिवाळी 
मना -मनास जवळ आणिते 
स्नेह-प्रकाशाची ही दिवाळी 
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कविता - अशी ही दिवाळी .
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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