कविता -
झाले इतके तरीही...
------------------------------------------------------
चालत राहिली तसा , रस्तेच कळाले नाही |
दिसले खूप जाताना , पायांना कळाले नाही ||
विचारले लोकांना तरी, त्यांनाही कळाले नाही |
सांगितले त्यांनी जेजे , मलाच कळाले नाही ||
अर्थ शोधला त्यातला , नेमके कळाले नाही |
थांबावे की चालावे हे , मनास कळाले नाही ||
झाले इतके तरीही , काहीच कळाले नाही |
कशा साठी असे सारे ,अजून कळाले नाही ||
--------------------------------------------------------------
कविता -
झाले इतके तरीही...
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
---------------------------------------------------------------
No comments:
Post a Comment