Friday, October 21, 2016

कविता - झाले इतके तरीही ...!

कविता -
झाले इतके तरीही...
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चालत राहिली तसा , रस्तेच कळाले नाही  |
दिसले खूप जाताना , पायांना कळाले नाही  ||

विचारले लोकांना तरी,  त्यांनाही कळाले नाही  |
सांगितले त्यांनी जेजे , मलाच कळाले नाही    ||

अर्थ शोधला त्यातला , नेमके कळाले नाही   |
थांबावे की चालावे हे , मनास कळाले  नाही  ||

झाले इतके तरीही  , काहीच कळाले नाही  |
कशा साठी असे सारे  ,अजून कळाले नाही   ||
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कविता -
झाले इतके तरीही...
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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