Wednesday, March 12, 2014

कविता - मनाची कळी....!

कविता-   मनाची कळी….!
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे
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अवचित येणे
तुझे हे भेटणे
सखे -हे पुन्हाचे
वसंत परतणे ……----!

मनाची ही  कळी
गाली तुझ्या खळी
असे  सारी खेळी
ही सखे तुझी …------…!

फुल गजरे
केसात माळले
अन बघ  -खुलले
रूप हे  साजरे …-…---।!

क्षण भारलेले
मनी साठलेले
तुझ्या सवे -सखे
हे अनुभवले …--------।!
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कविता-   मनाची कळी….!
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे
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