कविता- मनाची कळी….!
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे
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अवचित येणे
तुझे हे भेटणे
सखे -हे पुन्हाचे
वसंत परतणे ……----!
मनाची ही कळी
गाली तुझ्या खळी
असे सारी खेळी
ही सखे तुझी …------…!
फुल गजरे
केसात माळले
अन बघ -खुलले
रूप हे साजरे …-…---।!
क्षण भारलेले
मनी साठलेले
तुझ्या सवे -सखे
हे अनुभवले …--------।!
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कविता- मनाची कळी….!
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे
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-अरुण वि.देशपांडे -पुणे
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अवचित येणे
तुझे हे भेटणे
सखे -हे पुन्हाचे
वसंत परतणे ……----!
मनाची ही कळी
गाली तुझ्या खळी
असे सारी खेळी
ही सखे तुझी …------…!
फुल गजरे
केसात माळले
अन बघ -खुलले
रूप हे साजरे …-…---।!
क्षण भारलेले
मनी साठलेले
तुझ्या सवे -सखे
हे अनुभवले …--------।!
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कविता- मनाची कळी….!
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे
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