कविता - खोडून टाकणे मत कुणाचे .
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे .
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मोडून टाकणे मन कुणाचे
खोडून टाकणे मत कुणाचे
अजून नीटसे जमले नाही
काही केल्या शब्द फुटले नाही .
मुकाटयानेच ऐकुनी घेतले
बोलणे कुणाचे तोडले नाही
खोडून टाकणे मत कुणाचे
अजून नीटसे जमले नाही .
आता बोलतो थोडे जरी कधी
कुणीही मनावर घेत नाही
मोडून टाकणे मत कुणाचे
अजून नीटसे जमले नाही .
स्वार्थासाठी वापर करतांना
मागेपुढे कुणी पाहिले नाही .
आपलीच आहेत माणसे ही
अजून जराही उमजली नाही
खोडून टाकणे मत कुणाचे
अजून नीटसे जमले नाही .
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कविता - खोडून टाकणे मत कुणाचे .
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे .
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-अरुण वि.देशपांडे -पुणे .
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मोडून टाकणे मन कुणाचे
खोडून टाकणे मत कुणाचे
अजून नीटसे जमले नाही
काही केल्या शब्द फुटले नाही .
मुकाटयानेच ऐकुनी घेतले
बोलणे कुणाचे तोडले नाही
खोडून टाकणे मत कुणाचे
अजून नीटसे जमले नाही .
आता बोलतो थोडे जरी कधी
कुणीही मनावर घेत नाही
मोडून टाकणे मत कुणाचे
अजून नीटसे जमले नाही .
स्वार्थासाठी वापर करतांना
मागेपुढे कुणी पाहिले नाही .
आपलीच आहेत माणसे ही
अजून जराही उमजली नाही
खोडून टाकणे मत कुणाचे
अजून नीटसे जमले नाही .
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कविता - खोडून टाकणे मत कुणाचे .
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे .
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