कविता- जाता जाता ...|| -अरुण वि .देशपांडे-पुणे.
काही हुकले काही चुकले , कसला हिशेब जाता जाता
थोडे थोडे जरी जमले ,चुकते करू जाता जाता .......||
पाहता वळून मागे आता ,मन भडभडे जाता जाता
पुन्हा पुन्हा मायाबजारी या, नकोच गुंतणे जाता जाता ..||
कैसे शब्द - कसल्या भावना , आठवणे नको जाता जाता
दुखावली असतील सारी , नको उगाळणे जाता जाता .. ||
कैफ मस्तीखोर जगण्याचा ,आठवतो आता जाता जाता
बरे नाही सारे गमावणे , सांगावे हे आता जाता जाता ....||
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-कविता- जाता जाता ..|| -अरुण वि .देशपांडे- पुणे.
दि.०२ फेब्रु.-२०१२. मो- ९८५०१७७३४२.
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