जय स्वामी समर्थ.|| -अरुण.वि.देशपांडे- पुणे.
आज गुरुवार श्री चरणी नवी रचना सदभावे सादर आहे.
कविता: "स्वभाव- बदलावा समर्था ||
रंगलो भजनी जरी आम्ही
परी मन भटकत राही
स्मरण करता हो समर्था
व्हावा बदल स्वभावी काही .....|१||
जावो चंचलता या जिभेची
बोल बोलते ही काहीबाही
आवरण्या या चहाट ल जिभेला
उपाय करा समर्था काही .........||२||
कानांनी ऐकेले जेजे काही
डोळ्यांनी पाहिले जेजे काही
सत्यता आधी जाणुनी घ्यावी
नंतरच ते बोलावे काही ..........||३||
सागणे हे तुमचे पटते
तरी प्रकाश पडत नाही
नामस्मरणाने हो समर्था
उजेड पडू द्या मनी काही .......||४||
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कविता- स्वभाव"- बदलावा समर्था ..|| -अरुण.वि .देशपांडे-पुणे.
दि.०२ फेब्रुवारी -२०१२. मो- ९८५०१७७३४२.
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