Wednesday, February 8, 2012

by Arun V. Deshpande on Thursday, February 2, 2012 at 9:24am ·

जय स्वामी समर्थ.|| -अरुण.वि.देशपांडे- पुणे.

आज गुरुवार श्री चरणी नवी रचना सदभावे सादर आहे.

कविता: "स्वभाव- बदलावा समर्था ||

रंगलो भजनी जरी आम्ही

परी मन भटकत राही

स्मरण करता हो समर्था

व्हावा बदल स्वभावी काही .....|१||

जावो चंचलता या जिभेची

बोल बोलते ही काहीबाही

आवरण्या या चहाट ल जिभेला

उपाय करा समर्था काही .........||२||

कानांनी ऐकेले जेजे काही

डोळ्यांनी पाहिले जेजे काही

सत्यता आधी जाणुनी घ्यावी

नंतरच ते बोलावे काही ..........||३||

सागणे हे तुमचे पटते

तरी प्रकाश पडत नाही

नामस्मरणाने हो समर्था

उजेड पडू द्या मनी काही .......||४||

-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

कविता- स्वभाव"- बदलावा समर्था ..|| -अरुण.वि .देशपांडे-पुणे.

दि.०२ फेब्रुवारी -२०१२. मो- ९८५०१७७३४२.

---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

shree swamee samarth |

No comments:

Post a Comment