Wednesday, February 8, 2012

|| श्री || -अरुण वि .देशपांडे -पुणे.
जय श्रीस्वामी समर्थ -
आज गुरुवार - श्री चरणी ही अक्षरसेवा सादर अर्पण .
कविता -- श्री समर्था ....||
गुरुराया कठीनसे सारे काही
कुणाचा कुणाला उरला धाक नाही
निसरड्या झाल्या वाटा भवतीच्या
पाऊलवाटाही धड उरल्या नाही ..........||
सावट लाचारीचे हो चोहीकडे
धावे माणूस आहे पैसा तिकडे
वेळ नाही कुणाजवळ थांबण्या
पळतो जो- तो , मिळे ज्याला जिकडे ....||
बदलली माणसेच सारी किती
सरड्यापरी हे रंग बदलती
समज यावी आता या माणसांना
तव कृपेने बदलावी यांची मती .............||
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कविता -श्रीसमर्था " -अरुण वि .देशपांडे-पुणे .
मो- ९८५०१७७३४२.
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