Monday, May 13, 2013

कविता -न सांगताच सारे कळूनी आले ...!

कविता - न सांगताच सारे कळूनी आले ….!
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कालच्या भेटीत दोन डोळे बोलले
न सांगताच सारे कळूनी आले ….!!

आकाशीचे चांदणे ते सोबत होते
मंद वारे खुशीत मधुर गात होते
मनास आनंदाचे उधाण आले
न सांगताच सारे कळूनी आले ……

सागर किनारी वाळूत उमटले
तुझ्या नाजूक पावलांचे ते ठसे
खुलता गाली स्मित नाजुकसे
न सांगताच सारे कळूनी आले ….।

घर दोघांचे आता तू सजवले
स्वप्ने गोड सारे आता सजले
मनातले गुपीत तुझ्या सखये
न सांगताच सारे कळूनी आले.…….।
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कविता - न सांगताच सारे कळूनी आले ….।
कविता - अरुण वि .देशपांडे -पुणे .

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