कविता - खिन्न अशा या वेळी …!
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे .
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मावळतीच्या हुरहुरत्या प्रहरी
आठवणीं येती लहरत अंतरी
नजरे समोरचे भासे परके
उदासलेले मन खिन्नता अंतरी …।!
पक्षी येती परतुनी ओढीने किती
दिवस अखेरी त्या आपल्या घरट्यात
असो किती दूरवर दिवसभर
वळती वाटा पिल्लांच्या सहवासात ….!
एकटा एक मी, संध्याकाळ एकटी
सोबती एकमेकांचे आम्ही असतो
गाठोडे गत -क्षणांचे बसतो सोडूनी
आठवणी त्या मग बसती मानगुटी ….!
वियोगाचे गीत माझ्या सदा ओठी
व्याकुळ भाव दाटतो डोळा काठी
झोपही घेते फारकत नेमक्या वेळी
चंद्र नसे सोबती खिन्न अशा या वेळी ……!
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कविता - खिन्न अशा या वेळी …!
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे .
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-अरुण वि.देशपांडे -पुणे .
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मावळतीच्या हुरहुरत्या प्रहरी
आठवणीं येती लहरत अंतरी
नजरे समोरचे भासे परके
उदासलेले मन खिन्नता अंतरी …।!
पक्षी येती परतुनी ओढीने किती
दिवस अखेरी त्या आपल्या घरट्यात
असो किती दूरवर दिवसभर
वळती वाटा पिल्लांच्या सहवासात ….!
एकटा एक मी, संध्याकाळ एकटी
सोबती एकमेकांचे आम्ही असतो
गाठोडे गत -क्षणांचे बसतो सोडूनी
आठवणी त्या मग बसती मानगुटी ….!
वियोगाचे गीत माझ्या सदा ओठी
व्याकुळ भाव दाटतो डोळा काठी
झोपही घेते फारकत नेमक्या वेळी
चंद्र नसे सोबती खिन्न अशा या वेळी ……!
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कविता - खिन्न अशा या वेळी …!
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे .
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