Tuesday, February 12, 2013

कविता - भेट तुझी नाही ,? तर नाही .......!


 कविता - भेट तुझी नाही ? नाही तर , नाही ....!
-अरुण वी.देशपांडे -पुणे
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  अनोळखी  तू , तरीही
  ओळखीचीच  वाटली
  कुणास ठाऊक  मग
  भेटण्याची ओढ लागली .....!....।।१ ।।
  मी भेटीस दरवेळी
  चार शब्द तुजसाठी
  सुंदर  फुले  आणली
  खोटी स्तुती का वाटली ?......!..।।२|।
  तुझ्यात  काय  चांगले !
  तुलाच  खबर  नाही
  हेच सांगितलेन  मी
  विश्वास तुजला नाही  ...!  ........।३ ||
  भेटणे एकमेका हे
  असे  प्रेमच  नेमके
  मैत्री असेल सुंदर
  असे  का वाटत नाही  ?............ ।।४ ||
  योगायोग हा  छानसा
  भेटीचा नेहमी मानिला
  आग्रह तरीही नाही
  भेटतुझी नाही ?  नाही तर,नाही ....!............ ।।५ ||
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कविता - भेट नाही तर, नाही ..!
-अरुण वी.देशपांडे -पुणे.

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