कविता - भेट तुझी नाही ? नाही तर , नाही ....!
-अरुण वी.देशपांडे -पुणे
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अनोळखी तू , तरीही
ओळखीचीच वाटली
कुणास ठाऊक मग
भेटण्याची ओढ लागली .....!....।।१ ।।
मी भेटीस दरवेळी
चार शब्द तुजसाठी
सुंदर फुले आणली
खोटी स्तुती का वाटली ?......!..।।२|।
तुझ्यात काय चांगले !
तुलाच खबर नाही
हेच सांगितलेन मी
विश्वास तुजला नाही ...! ........।३ ||
भेटणे एकमेका हे
असे प्रेमच नेमके
मैत्री असेल सुंदर
असे का वाटत नाही ?............ ।।४ ||
योगायोग हा छानसा
भेटीचा नेहमी मानिला
आग्रह तरीही नाही
भेटतुझी नाही ? नाही तर,नाही ....!............ ।।५ ||
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कविता - भेट नाही तर, नाही ..!
-अरुण वी.देशपांडे -पुणे.
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