कविता ---"माणूस ...!
(मन डोह कविता संग्रहातून )
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे
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चेहेऱ्या आडचा माणूस
जमेल तसा वाचावा
असतो असा खरा
कवितेतून सांगावा ....!
माणसात रमावे अन
माणुसपण जोडावे
सुख-दुखाचे भोग त्याचे
कवितेतून मांडावे ......!
कवितेने मज तसे
खूप असे दिले
दुर् देशीचे स्नेहाळ पक्षी
कवितेच्या फांदी भेटले ....!
वेल्हाळ पाखरू मनाचे
उंच उंच झेपावते
गाव कवीचा दिसता
तिथेच भिरभिरते ......!
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कविता -माणूस ...!
(मन डोह" कविता संग्रहातून )
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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(मन डोह कविता संग्रहातून )
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे
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चेहेऱ्या आडचा माणूस
जमेल तसा वाचावा
असतो असा खरा
कवितेतून सांगावा ....!
माणसात रमावे अन
माणुसपण जोडावे
सुख-दुखाचे भोग त्याचे
कवितेतून मांडावे ......!
कवितेने मज तसे
खूप असे दिले
दुर् देशीचे स्नेहाळ पक्षी
कवितेच्या फांदी भेटले ....!
वेल्हाळ पाखरू मनाचे
उंच उंच झेपावते
गाव कवीचा दिसता
तिथेच भिरभिरते ......!
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कविता -माणूस ...!
(मन डोह" कविता संग्रहातून )
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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