Friday, April 12, 2013

कविता - रंग हे जीवनाचे हे , रोज कितीदा पाहिले ..!

कविता -रंग जीवनाचे हे , रोज कितीदा पाहिले ...!
- अरुण वी.देशपांडे -पुणे
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  रंग जीवनाचे हे, रोज कितीदा पाहिले
  पाहुनी रंग परी , मन रितेच  राहिले …॥

 तजेलदार रंगाने मन उमलून जाई
 आवडीचे  भेटता सहज मिसळून जाई
 विघ्नसंतोषी एकाने विस्कटून  हे टाकले
 रंग जीवनाचे हे, रोज कितीदा पाहिले …॥

 पाउलवाटेवर काटे का पसरती  लोक ?
 काटेरी शब्दांनी का पाडती मनाला भोक ?
 आधार देणे मनासी ते तर दूरच राहिले
 रंग जीवनाचे हे, रोज कितीदा पाहिले .......||

 शेरास भेटे सवाशेर, हे विसरले गेले
 भित्रे असतात सारे , गृहीत धरले गेले 
 जिगरबाज भेटता,  चित्र हे बदलून गेले 
 रंग जीवनाचे हे , रोज कितीदा  पाहिले ........||

 रंग जीवनाचे हे, रोज कितीदा पाहिले
 पाहुनी रंग परी , मन हे रितेच राहिले ....||
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कविता - रंग जीवनाचे हे  , रोज कितीदा पाहिले ..!
-अरुण वी.देशपांडे -पुणे.
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