कविता -रंग जीवनाचे हे , रोज कितीदा पाहिले ...!
- अरुण वी.देशपांडे -पुणे
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रंग जीवनाचे हे, रोज कितीदा पाहिले
पाहुनी रंग परी , मन रितेच राहिले …॥
तजेलदार रंगाने मन उमलून जाई
आवडीचे भेटता सहज मिसळून जाई
विघ्नसंतोषी एकाने विस्कटून हे टाकले
रंग जीवनाचे हे, रोज कितीदा पाहिले …॥
पाउलवाटेवर काटे का पसरती लोक ?
काटेरी शब्दांनी का पाडती मनाला भोक ?
आधार देणे मनासी ते तर दूरच राहिले
रंग जीवनाचे हे, रोज कितीदा पाहिले .......||
शेरास भेटे सवाशेर, हे विसरले गेले
भित्रे असतात सारे , गृहीत धरले गेले
जिगरबाज भेटता, चित्र हे बदलून गेले
रंग जीवनाचे हे , रोज कितीदा पाहिले ........||
रंग जीवनाचे हे, रोज कितीदा पाहिले
पाहुनी रंग परी , मन हे रितेच राहिले ....||
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कविता - रंग जीवनाचे हे , रोज कितीदा पाहिले ..!
-अरुण वी.देशपांडे -पुणे.
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- अरुण वी.देशपांडे -पुणे
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रंग जीवनाचे हे, रोज कितीदा पाहिले
पाहुनी रंग परी , मन रितेच राहिले …॥
तजेलदार रंगाने मन उमलून जाई
आवडीचे भेटता सहज मिसळून जाई
विघ्नसंतोषी एकाने विस्कटून हे टाकले
रंग जीवनाचे हे, रोज कितीदा पाहिले …॥
पाउलवाटेवर काटे का पसरती लोक ?
काटेरी शब्दांनी का पाडती मनाला भोक ?
आधार देणे मनासी ते तर दूरच राहिले
रंग जीवनाचे हे, रोज कितीदा पाहिले .......||
शेरास भेटे सवाशेर, हे विसरले गेले
भित्रे असतात सारे , गृहीत धरले गेले
जिगरबाज भेटता, चित्र हे बदलून गेले
रंग जीवनाचे हे , रोज कितीदा पाहिले ........||
रंग जीवनाचे हे, रोज कितीदा पाहिले
पाहुनी रंग परी , मन हे रितेच राहिले ....||
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कविता - रंग जीवनाचे हे , रोज कितीदा पाहिले ..!
-अरुण वी.देशपांडे -पुणे.
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