कविता - काठावरी पूर आठवणींचा ...!
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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मन अवखळ पाण्यापरी कसे याला रोकु ?
काठावरी पूर आठवणींचा , कसे याला रोकु ?
दाट काळोख कधी , कधी लक्ख चांदणे असते
कधी तलखी उन्हाची , कधी चिंब वर्षा असते
उधाण येता मनास मग ,कसे याला रोकु
काठावरी पूर आठवणींचा , कसे याला रोकु ?
भासे वर शांत शांत जरी , मनाचे हे तळे
काय खोल डोहात , हे कधी कुणा ना कळे
प्रयत्न अपुरे पडता, वाटे शोध घेऊ शकू ?
काठावरी पूर आठवणींचा , कसे याला रोकु ?
मन अवखळ पाण्यापरी कसे याला रोकु ?
काठावरी पूर आठवणींचा , कसे याला रोकु ?
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कविता - काठावरी पूर आठवणींचा ...!
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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मन अवखळ पाण्यापरी कसे याला रोकु ?
काठावरी पूर आठवणींचा , कसे याला रोकु ?
दाट काळोख कधी , कधी लक्ख चांदणे असते
कधी तलखी उन्हाची , कधी चिंब वर्षा असते
उधाण येता मनास मग ,कसे याला रोकु
काठावरी पूर आठवणींचा , कसे याला रोकु ?
भासे वर शांत शांत जरी , मनाचे हे तळे
काय खोल डोहात , हे कधी कुणा ना कळे
प्रयत्न अपुरे पडता, वाटे शोध घेऊ शकू ?
काठावरी पूर आठवणींचा , कसे याला रोकु ?
मन अवखळ पाण्यापरी कसे याला रोकु ?
काठावरी पूर आठवणींचा , कसे याला रोकु ?
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कविता - काठावरी पूर आठवणींचा ...!
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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