Monday, April 15, 2013

कविता - काठावरी पूर आठवणींचा ...!

कविता - काठावरी पूर आठवणींचा ...!
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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मन अवखळ पाण्यापरी कसे याला रोकु ?
काठावरी पूर आठवणींचा , कसे  याला रोकु  ?

दाट काळोख कधी , कधी लक्ख चांदणे असते
कधी तलखी उन्हाची , कधी चिंब वर्षा असते
उधाण येता मनास मग  ,कसे याला रोकु
काठावरी पूर आठवणींचा , कसे याला रोकु ?

भासे वर शांत शांत जरी , मनाचे  हे तळे
काय खोल डोहात , हे  कधी कुणा ना कळे
प्रयत्न अपुरे पडता,  वाटे शोध घेऊ शकू ?
काठावरी पूर आठवणींचा , कसे याला रोकु ?

मन अवखळ पाण्यापरी  कसे याला रोकु ?
काठावरी  पूर आठवणींचा , कसे याला रोकु ?
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कविता - काठावरी  पूर आठवणींचा ...!
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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