दै .देशोन्नत्ती --०३मे-१५, रविवार पुरवणीत प्रकाशित
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बाहुली कित्ती छानसी …
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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आईची असे लाडकी
म्हणते ती सारखी
परी ग माझी गोड ही
बाहुली कित्ती छानसी ...!
दादू भारी लाड करी
काही तरी आणतो तो
कामावरून जेव्न्हा
रोज येतो तो घरी ...!
पिंक पिंक ड्रेस माझा
बाबांना आवडे भारी
पाहून मला म्हणती
बाहुली कित्ती छानसी ...!
आजीच्या गावी जाता
गळ्यात तिच्या पडते
आजीच्या डोळ्यातली
माया सारी ती दिसते ...!
फिरायला जाते मी ही
असतात आबा सोबत
त्यांचे मित्र विचारतात
बाहुली कोण छानसी .?...!
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बाल-कविता -
बाहुली कित्ती छानसी ...!
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे .
मो- ९८५०१७७३४२
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बाहुली कित्ती छानसी …
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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आईची असे लाडकी
म्हणते ती सारखी
परी ग माझी गोड ही
बाहुली कित्ती छानसी ...!
दादू भारी लाड करी
काही तरी आणतो तो
कामावरून जेव्न्हा
रोज येतो तो घरी ...!
पिंक पिंक ड्रेस माझा
बाबांना आवडे भारी
पाहून मला म्हणती
बाहुली कित्ती छानसी ...!
आजीच्या गावी जाता
गळ्यात तिच्या पडते
आजीच्या डोळ्यातली
माया सारी ती दिसते ...!
फिरायला जाते मी ही
असतात आबा सोबत
त्यांचे मित्र विचारतात
बाहुली कोण छानसी .?...!
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बाल-कविता -
बाहुली कित्ती छानसी ...!
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे .
मो- ९८५०१७७३४२
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