Monday, December 9, 2019

कविता -सांगावा सखीचा

कविता - सांगावा सखीचा
-----------------------------------
सांगावा सखे मिळाला
जीव भेटीस आतुरला
वाटे कधी पाहीन तुला
निघालो बघ भेटायला
तू गेलीस तिकडे अन
जीव व्याकुळला इकडे
जो भेटे तो मज विचारे
असे काय झालं रे तुला
दिवस जाई कसा बसा
रात्र एकटी मोठी वाटे
भकास आकाशात या
चंद्र एक अकेला वाटे
आसुसला जीव तुझा
जाणीव मजला आहे
निघालो तुज भेटाया
अधीरता मनी ग दाटे
--------------------------------------
कविता- सांगावा सखीचा
-अरुण वि.देशपांडे-पुणे.
--------------------------------------
(प्रकाशित-दै.संचार-सोलापूर)

No comments:

Post a Comment