कविता - सद्गुरूंचा धावा …
------------------------------------
करुणा मनात साठली
चिंता मनात ही दाटली
सावरण्या आता आम्हाला
सद्गुरू धावा हो धावा …
------------------------------------
करुणा मनात साठली
चिंता मनात ही दाटली
सावरण्या आता आम्हाला
सद्गुरू धावा हो धावा …
आर्थिक मोहजालात या
मन खोल खोल रुतले
काढा यास बाहेर तुम्ही
सद्गुरू धावा हो धावा …
मन खोल खोल रुतले
काढा यास बाहेर तुम्ही
सद्गुरू धावा हो धावा …
तुझे माझे ,माझे ना कुणाचे
भांडण हे ऐहिक सुखांचे
गुंता अवघा सोडवण्यास
सद्गुरू धावा हो धावा …
---------------------------------------
कविता - सद्गुरूंचा धावा …
-अरुण वि.देशपांडे - पुणे.
भांडण हे ऐहिक सुखांचे
गुंता अवघा सोडवण्यास
सद्गुरू धावा हो धावा …
---------------------------------------
कविता - सद्गुरूंचा धावा …
-अरुण वि.देशपांडे - पुणे.
No comments:
Post a Comment