Monday, December 9, 2019

कविता - कोजागिरी

कोजागिरी
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पौर्णिमा अश्विनी
चांदण्या गगनी
चमचमती रात्री
कोजागिरीच्या
मैफिली साजऱ्या
स्वरांत गुंफल्या
मस्त चांदण्यात
कोजागिरीच्या
हळुवार वारे
उल्हासित सारे
चांदण्यात या
कोजागिरीच्या
आकाशी निरभ्र
रात्र रुपेरी असे
पूर्णचंद्र भरात
कोजागिरीचा
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कोजागिरी
-अरुण वि.देशपांडे-पुणे.
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