कविता - मित्रांनो , मी असाच घडत गेलो...!
-अरुण वि .देशपांडे -पुणे.
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दडलेला असतो कलावंत एक -प्रत्येकाच्याच मनात .
तू खुलतो कधी - कधी फुलतो असाच
तुम्ही भेटलात , मी फुलत गेलो- खुलत गेलो
अन - मित्रांनो ,मी असाच घडत गेलो........!
प्रवासातील हर एक वळणावर
वळण देणारे खूप भेटत गेले
सुचवत तुम्ही गेलात , लिहित मी गेलो ,
मित्रांनो , मी असाच घडत गेलो...........!
प्रतिमा परिचित झाल्या , प्रतिभा खुलत गेली
माणसे उमजत गेली , अर्थ समजत गेले ,
हेच सारे शब्दात मग मांडीत गेलो
मित्रांनो ,मी असाच घडत गेलो.............!
ऋणात तुमच्या राहुद्या कायम
मनात तुमच्या जागा द्या कायम
अशा अनेक गावात मी रमत गेलो
मित्रानो , मी असाच घडत गेलो ...........!
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कविता - मित्रांनो , मी असाच घडत गेलो ..!
-अरुण वि .देशपांडे -पुणे .
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