Tuesday, January 15, 2013

कविता -मित्रांनो मी असाच घडत गेलो


कविता - मित्रांनो , मी असाच घडत गेलो...!
-अरुण वि .देशपांडे -पुणे.
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दडलेला असतो कलावंत एक -प्रत्येकाच्याच मनात .
तू खुलतो कधी - कधी  फुलतो असाच
तुम्ही भेटलात , मी फुलत गेलो- खुलत गेलो
अन - मित्रांनो ,मी असाच घडत  गेलो........!
प्रवासातील  हर एक वळणावर
वळण देणारे खूप भेटत  गेले
सुचवत तुम्ही गेलात , लिहित मी गेलो ,
मित्रांनो , मी असाच घडत गेलो...........!
प्रतिमा  परिचित  झाल्या , प्रतिभा  खुलत गेली
माणसे उमजत गेली , अर्थ समजत गेले ,
हेच सारे शब्दात मग  मांडीत  गेलो
मित्रांनो ,मी असाच घडत गेलो.............!
 ऋणात  तुमच्या  राहुद्या  कायम
मनात तुमच्या  जागा  द्या  कायम
अशा  अनेक गावात  मी रमत  गेलो
मित्रानो , मी असाच घडत  गेलो ...........!
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कविता - मित्रांनो , मी असाच घडत गेलो ..!
-अरुण वि .देशपांडे  -पुणे .
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