Wednesday, January 30, 2013

कविता - तू सांग बरे ..!


  कविता - तू सांग बरे ....!
- अरुण वि.देशपांडे -पुणे
---------------------------------------------------------------------------
   अंगणी या  ,रांगोळ्या शब्दांच्या रेखाव्या,
   शब्द  तुझे , भाव - भावना  त्या खुलाव्या
   एकांती असता तू   संध्या समयी कधी
   मनात त्या व्याकूळ  आठवणी  याव्या ....।। १।।
   उत्कट  प्रतिबिंब  मनाचे   दिसेल  का
   गीत गोड  शब्दरूपात करशील का ?
   सरोवर हे  मनाचे ,पाहता  तू जरी,
   काय दिसले  तुज , ते मज सांग तरी..!......।।२ ।।
   सुंदर चित्रात  आता  रंग भर बरे ,
   सांग  भासे कसे सखे,  हे चित्र तुज खरे..!
   प्रेम  असे जादू भरे ,मना तू  सांग बरे
   आवाज  देईन मी  साद तू देशी बरे..!.........।। ३ ।।
-------------------------------------------------------------------------------------------------
 कविता - तू सांग बरे ...!
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे
-------------------------------------------------------------------------------------------------

No comments:

Post a Comment