Thursday, January 17, 2013

कविता - निरंतर..!

कविता - निरंतर ..!
-अरुण वि.देशपांडे
(कविता संग्रह- गाणे दिवाने - २००३ )
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असतील स्मरणात तुझिया
गोष्टी अनेक अवांतर
नाव माझेच रहावे
मनात तुझिया  निरंतर ....।।
मिळावी प्रीती तुझी
शुभ - संचित  माझ्या साठी
कोपरा हृदयीचा  तुझ्या
असावा  माझ्याच साठी .....।।
ऐकुनी मागणे माझे
 सहेली  उदार  व्हावे
यावे  मनात  तुझिया
देऊन तू  टाकावे ..........।।
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-कविता - निरंतर ...!
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे
(कविता संग्रह- गाणे दिवाने - २००३ )
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