कविता- असेच होते दरवेळी ....!
- अरुण वि.देशपांडे - पुणे.
--------------------------------------------------------
खूप बोलयाचे तुजला
ठरवतो मनाशी माझ्या
समोर येता शब्द नाही
असेच होते दरवेळी ...!
समजून आहेस सारे
ठेवतेस चेहेरा कोरा
आणि माझा गोरामोरा
असेच होते दरवेळी ....!
का असे तुझे हे वागणे
अन स्वप्नात येणेजाणे
हसण्यात मी विरघळणे
असेच होते दरवेळी ...!
नजरेतले तुझ्या सारे
ओठी येउनी का थांबते
आतुरता संपेना अजुनी
असेच होते दरवेळी........!
------------------------------------------------------------------------------
कविता - असेच होते दरवेळी ...!
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
-----------------------------------------------------------------------------
- अरुण वि.देशपांडे - पुणे.
--------------------------------------------------------
खूप बोलयाचे तुजला
ठरवतो मनाशी माझ्या
समोर येता शब्द नाही
असेच होते दरवेळी ...!
समजून आहेस सारे
ठेवतेस चेहेरा कोरा
आणि माझा गोरामोरा
असेच होते दरवेळी ....!
का असे तुझे हे वागणे
अन स्वप्नात येणेजाणे
हसण्यात मी विरघळणे
असेच होते दरवेळी ...!
नजरेतले तुझ्या सारे
ओठी येउनी का थांबते
आतुरता संपेना अजुनी
असेच होते दरवेळी........!
------------------------------------------------------------------------------
कविता - असेच होते दरवेळी ...!
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
-----------------------------------------------------------------------------
No comments:
Post a Comment