कविता - रंग खेळू या रे ..!
अरुण वि ..देशपांडे -पुणे
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रंगच रंग ,सारे म्हणती रंग खेळूया रे
उडवुनी रंग , रंगात भिजवुनी टाकू या रे ।।
मनमोहक रंग किती हे सारे पाहुनी
मन साऱ्यानचे येते रंगासंगे खुलुनी |
सोडू नका ,सोडू नका आज कुणालाही रे
आज त्याला ,रंगात भिजवुनी टाकू या रे ... ||
जगण्यातले रंग ते , कधीचे उडुनी गेले
आनंदाने जगण्याचे सारे, विसरुनी गेले...|
जीवनगाणे आनंदाने म्हणू आज सारे
उडवुनी रंग ,रंगात भिजवुनी टाकू या रे.......||
रंगच रंग , सारे म्हणती रंग खेळूया रे
उडवुनी रंग, रंगात भिजवुनी टाकू या रे ...।।
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कविता - रंग खेळू या रे ..!
अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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