Tuesday, March 26, 2013

कविता - रंग खेळू या रे...!


कविता - रंग खेळू या रे  ..!
अरुण वि ..देशपांडे -पुणे
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रंगच रंग ,सारे  म्हणती रंग खेळूया  रे
उडवुनी रंग , रंगात भिजवुनी टाकू या  रे    ।।

मनमोहक रंग किती हे सारे पाहुनी
मन  साऱ्यानचे येते रंगासंगे खुलुनी    |

सोडू नका ,सोडू नका आज कुणालाही रे
आज त्याला ,रंगात भिजवुनी टाकू या रे ... ||

जगण्यातले रंग ते , कधीचे उडुनी  गेले
आनंदाने जगण्याचे सारे,  विसरुनी  गेले...|

जीवनगाणे आनंदाने म्हणू  आज  सारे
उडवुनी रंग ,रंगात भिजवुनी  टाकू या रे.......||

रंगच रंग , सारे म्हणती रंग खेळूया  रे
उडवुनी रंग, रंगात भिजवुनी टाकू या रे ...।।
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कविता - रंग खेळू या रे ..!
अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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