Wednesday, March 2, 2016

काही हायकू रचना - 2


एक हायकू 
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१३.
करू प्रवास
घडेल सहवास
निसर्गाचा हो
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१४.-

भान हरवे
वैभव हे हिरवे
दृष्टी पडता
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१५

ओरबाडणे
संपन्न निसर्गाला
नाही थाबले
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१६
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निरागसता
पावलो पावली
या निसर्गात
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१७

सोबती सारे
ओळखीचेच तरी
परकेच ते
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१८.
पाखरांसाठी
झाडे ही डेरेदार
छानसे घर
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१९.
अपेक्षाभंग
दु:खाचेच तरंग
पाण्यावरती
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२०.
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२१
मुक्त हाताने
मोकळ्या मनाने ते
देतो निसर्ग
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२२.

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बेगडी प्रेम
आहे या माणसांचे
निसर्गावरी
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२३.

मळभ नको
नको काळी किनार
मनआकाशी
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२४
चंद्र आकाशी
सोबतीस तारका
शितलचांदणे
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