कविता- तुला भेटण्याच्या आधी
-अरुण वि.देशपांडे
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एकटाच मी माझा होतो नव्हते माझे कुणीही
होती गोष्ट फार साधी, तुला भेटण्याच्या आधी ..||
बरे होते एका दृष्टीने तसे आजवरचे हे जिणे
बेफिकीर -मस्त फिरस्ती मी , तुला भेटण्याच्या आधी ...||
लाविता तू दीप आशेचा उजळून गेला मन गाभारा
तसा ठोस अंधारच होता इथे, तुला भेटण्याच्या आधी
काय पाहिले तू माझ्यात, जे मला न जाणवले कधी
अनोळखी किती मीच मला, तुला भेटण्याच्या आधी ..||
माहिती नव्हते असते काय ते प्रेम, अन ती प्रीती ?
अवगड होते कोडे हे गोड, तुला भेटण्याच्या आधी ..||
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कविता- तुला भेटण्याच्या आधी .
-अरुण वि.देशपांडे .
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