रसिक वाचक हो- आपण नेहमी माझ्या कविता व चारोळ्या वाचत आहात.
या वेळी थोडा वेगळा प्रकार सादर करतो आहे. जपानी काव्य प्रकार आहे हा -
जो "हायकू "या नावाने लोकप्रिय आहे.
माझ्या काही रचना आपल्या साठी.
अभिप्राय जरूर द्यावेत.
स्नेहांकित-
अरुण वि.देशपांडे
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०१ एक हायकू -
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हल्लकल्लोळ
अवेळी पावसाचा
राडारोड्याचा
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या वेळी थोडा वेगळा प्रकार सादर करतो आहे. जपानी काव्य प्रकार आहे हा -
जो "हायकू "या नावाने लोकप्रिय आहे.
माझ्या काही रचना आपल्या साठी.
अभिप्राय जरूर द्यावेत.
स्नेहांकित-
अरुण वि.देशपांडे
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०१ एक हायकू -
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हल्लकल्लोळ
अवेळी पावसाचा
राडारोड्याचा
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२,
एक हायकू -
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असा रक्षक
नसावे हो भक्षक
पर्यावरणाचे .
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असा रक्षक
नसावे हो भक्षक
पर्यावरणाचे .
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३,
एक हायकू-
पंढरपूर
भक्तीचा महापूर
विठूचरणी.
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पंढरपूर
भक्तीचा महापूर
विठूचरणी.
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४-
एक हायकू -
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किलबिलाट
अन चिवचिवाट
गाणे अवीट
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किलबिलाट
अन चिवचिवाट
गाणे अवीट
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५-
हायकू-
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नदीच्या काठी
पाण्यावर तरंग
सुर्यास्त रंग
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नदीच्या काठी
पाण्यावर तरंग
सुर्यास्त रंग
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६-
हायकू -
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सरिता वाहे
अनावर ओढीने
सागराकडे
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सरिता वाहे
अनावर ओढीने
सागराकडे
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७-
अशांत मन
निसर्ग एकांतात
होईल शांत
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निसर्ग एकांतात
होईल शांत
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८-
आकाशतारे
दिपावलीचे दिवे
प्रकाशथवे
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दिपावलीचे दिवे
प्रकाशथवे
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९-
हायकू --
अफाट रूप
निसर्गाचे पहावे
मन हरवे
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अफाट रूप
निसर्गाचे पहावे
मन हरवे
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१० -
--हायकू
रात्र सरते
गगन उजळते
रवी प्रकाशे
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गगन उजळते
रवी प्रकाशे
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११.
हायकू
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निसर्ग घर
त्यास हो घरघर
माणसामुळे....!
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-अरूण वि.देशपांडे- पुणे.
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निसर्ग घर
त्यास हो घरघर
माणसामुळे....!
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-अरूण वि.देशपांडे- पुणे.
मो-९८५०१७७३४२
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