||श्री ||
मित्रहो-
सावंतवाडीहून प्रकाशित होणारे सर्वपरिचित मासिक -"आरती "
मासिकाच्या एप्रिल- २०१२ च्या अंकातून माझी
कविता प्रकाशित झाली आहे.
आपल्या अभिप्रायार्थ कविता सादर आहे.
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कविता - "व्यवहार आणि मन "
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मन असते हळवे नि खुळे
डबडबती कशानेही डोळे
नाही येत बेगडी व्यवहार
रहाते तसेच दुधखुळे ...........||
कुणीच नसतो कुणाचा कधी
लक्षात येत नसते आधी कधी
अर्ध्या प्रवाही सोडता कुणी
शहाणपण येते कधी कधी .....||
भाव- भावना या सगळ्यांची
किंमत शून्य पैशाच्या जगात
सोसावे लागतात मग तडाखे
उन्मळते मन हे कधी कधी .....||
आपण आपले एक करावे
येईल समोर , सामोरे जावे
येता आधाराला कुणी कधी
नशीब आपले , बरे समजावे.....||
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कविता -व्यवहार आणि मन ..|| -अरुण वि .देशपांडे -पुणे.
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मित्रहो-
सावंतवाडीहून प्रकाशित होणारे सर्वपरिचित मासिक -"आरती "
मासिकाच्या एप्रिल- २०१२ च्या अंकातून माझी
कविता प्रकाशित झाली आहे.
आपल्या अभिप्रायार्थ कविता सादर आहे.
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कविता - "व्यवहार आणि मन "
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मन असते हळवे नि खुळे
डबडबती कशानेही डोळे
नाही येत बेगडी व्यवहार
रहाते तसेच दुधखुळे ...........||
कुणीच नसतो कुणाचा कधी
लक्षात येत नसते आधी कधी
अर्ध्या प्रवाही सोडता कुणी
शहाणपण येते कधी कधी .....||
भाव- भावना या सगळ्यांची
किंमत शून्य पैशाच्या जगात
सोसावे लागतात मग तडाखे
उन्मळते मन हे कधी कधी .....||
आपण आपले एक करावे
येईल समोर , सामोरे जावे
येता आधाराला कुणी कधी
नशीब आपले , बरे समजावे.....||
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कविता -व्यवहार आणि मन ..|| -अरुण वि .देशपांडे -पुणे.
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