कविता- संकल्प - समर्थ चरणापाशी ...!
|| अरुण वि.
देशपांडे -पुणे
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दिवस एक छान उजाडला
संकल्प मनाशी हो योजिला
वंदन करुनी स्वामी समर्था
आरम्भ करूया वागण्याला........!||1 ||
दुखावतील कुणी बोलण्याने
टोकदार बोलायचे नाही
जिव्हारी लागेल कुणाच्या ते
झोंबणारे बोलयाचे नाही ........! || 2||
मनाच्या ओढीने यावीत हो
माणसे आपली म्हणवणारी
आपुलकी याच साऱ्यांची हो
उमेद जगण्यास देणारी ..........! || 3||
अडचणीत सापडता कुणी
मदतीस जावे त्याच्या सदा
हात करावे पुढती त्याच्या
संकटातूनी बाहेर काढण्या ........!||4||
नित्य प्रार्थना करु आपण सारे
समर्थ चरणांपाशी हो
द्यावी सद्विवेकबुद्धी आम्हालागी
विचार आणि आमच्या आचरणाला ....!||5||
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कविता- संकल्प - समर्थ चरणापाशी ...! || अरुण वि. देशपांडे -पुणे
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दिवस एक छान उजाडला
संकल्प मनाशी हो योजिला
वंदन करुनी स्वामी समर्था
आरम्भ करूया वागण्याला........!||1 ||
दुखावतील कुणी बोलण्याने
टोकदार बोलायचे नाही
जिव्हारी लागेल कुणाच्या ते
झोंबणारे बोलयाचे नाही ........! || 2||
मनाच्या ओढीने यावीत हो
माणसे आपली म्हणवणारी
आपुलकी याच साऱ्यांची हो
उमेद जगण्यास देणारी ..........! || 3||
अडचणीत सापडता कुणी
मदतीस जावे त्याच्या सदा
हात करावे पुढती त्याच्या
संकटातूनी बाहेर काढण्या ........!||4||
नित्य प्रार्थना करु आपण सारे
समर्थ चरणांपाशी हो
द्यावी सद्विवेकबुद्धी आम्हालागी
विचार आणि आमच्या आचरणाला ....!||5||
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कविता- संकल्प - समर्थ चरणापाशी ...! || अरुण वि. देशपांडे -पुणे
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