Sunday, June 24, 2012

कविता- श्री दर्शन ||

||श्री ||                                                                     -अरुण वि .देशपांडे -पुणे
कविता- श्री दर्शन ||
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मनात असे आपल्या
स्थान श्री गुरुतत्वाचे
जावे दर्शना हो त्यांच्या
महत्व जाणुनी स्थानांचे ....||
सद्गुरुंनी कथिले
महात्म्य हो दर्शनाचे
आपणही जावे सदा
दर्शन घेण्या हो त्यांचे .......||
जावे अक्कलकोटी त्या
सज्जनगडा वर त्या ,
वाट चला शेगावाची
वा शिर्डीला जाउनी या ......||
गुरुरूप सकल हे
समर्थ तत्व सारखे
भावेल जे रूप त्यांचे
घ्यावे दर्शन सारखे ..........||
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कविता - "श्री दर्शन "                                                      -अरुण वि .देशपांडे -पुणे
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Shri Sadguru ||

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