Sunday, June 24, 2012

कविता - मनामनातील आई"....!

कविता - मनामनातील आई"....!

by Arun V. Deshpande on Sunday, May 13, 2012 at 10:00am ·
||श्री ||                                                                                                 -अरुण.वि . देशपांडे -पुणे.
कविता - मना मनातील आई..!
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जरी माझ्याकडे तिची पाठ आहे
तरी मला ती पूर्ण पाठ आहे
वाकली असेलही सावलीत  ती
कण्याने अजून ताठ आहे......................||
दु:ख मनात कोंडिले
सुख चोहीकडे शिम्पिले
जखमेवरी दिसल्या खपल्या
अंगणात आनंदाचे सडे .......................||
स्वाभिमानी मुठ तिची
कधी उघडी झाली नाही
दारिद्र्याची झुंबरे कधी
घरात टांगली नाही ............................||
उन्हां-तान्हात वाटचाल झाली
काट्यानची  पायाखाली भुई
चांदणसावली दिली तिने
दिल्या ओंजळीत जाईजुई ................||
अप्रूपाची नसे हो कहाणी
घरोघरी असते अशी बाई
डोकावून बघा आत तरी
ही तर मनामानातली आई ..............||
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कविता- || मनामानातली आई ....!||                                                        -अरुण वि देशपांडे -पुणे.
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कविता - मनामनातील आई"....!

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