कविता - पाउस -अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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कोसळावे कधी
भरले आभाळ
आतुरले सारे
उजाडलेले माळ..||
नाही भरवसा
लहरी पावसाचा
जीवनात नाही
जीवन याच्या मुळे..||
मेहेरबानी याची
नाही सगळीकडे
कुठे पूर- महापूर
दैना ती याच्यामुळे ....||
असले असेही
पाउस हवाच हो
आबादानी सारी
या पावसामुळे .........||
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कविता -पाउस -अरुण वि.देशपांडे -पुणे
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कोसळावे कधी
भरले आभाळ
आतुरले सारे
उजाडलेले माळ..||
नाही भरवसा
लहरी पावसाचा
जीवनात नाही
जीवन याच्या मुळे..||
मेहेरबानी याची
नाही सगळीकडे
कुठे पूर- महापूर
दैना ती याच्यामुळे ....||
असले असेही
पाउस हवाच हो
आबादानी सारी
या पावसामुळे .........||
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कविता -पाउस -अरुण वि.देशपांडे -पुणे
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